वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग, अद्वैत बोध शिविर
३० सितम्बर, २०१७
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग:
क्या परम को पहचानना ही पाना है?
ईश्वर हमारे भीतर है फिर हमें ग्रन्थ पढ़ने की क्या जरूरत है?
अपने अंदर के परमात्मा को कैसे पहचाने?
आध्यात्मिकता का क्या अर्थ है?
कबीर क्यों गाते हैं "मोरा हीरा हराये गए कचरे में?